प्रो. रविपति राघवराव स्मृति व्याख्यान
प्रो. रविपति राघवराव की स्मृति में, उनके परिवार ने एक स्मृति व्याख्यान संस्थापित किया है जो पीआरएल द्वारा संचालित किया जाएगा।
वर्ष 2024-25 का प्रथम स्मृति व्याख्यान 21 फरवरी 2025 को पीआरएल में आयोजित किया जाएगा।
प्रो. रविपति राघवराव (जिन्हें स्नेहपूर्वक आरआरआर के नाम से जाना जाता है) पीआरएल के एक प्रतिष्ठित संकाय सदस्य थे और उन्होंने 1966 से 1989 तक पीआरएल में कार्य किया। प्रो. आर. राघवराव एरोनॉमी के क्षेत्र में अग्रणी थे। उनके कार्यों में भू-आधारित रेडियो और प्रकशिक अन्वेषण माप से लेकर उपग्रह-आधारित प्रयोग जैसे टॉपसाइड साउंडर्स या रॉकेट-आधारित प्रयोग जैसे वाष्प रिलीज और स्वस्थाने माप जैसे ऊपरी वायुमंडलीय जांच के सभी सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक पहलुएं शामिल थे।
प्रो. राघवराव का जन्म आंध्र प्रदेश के तटीय शहर ओंगोल में एक बड़े किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रो. बी. रामचंद्र राव के साथ आयनमंडल के क्षेत्र में अपने थीसिस पर्यवेक्षक के रूप में आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से बी.एससी., एम.एससी. और डीएससी डीएससी (1960) की उपाधि प्राप्त की। चुनौतियों को लेने के लिए तैयार एक युवा और महत्वाकांक्षी पोस्ट-डॉक्टरेट के रूप में, वे (1963-64) गैलेक्टिक प्लेन के 9.3 सेमी रेडियो उत्सर्जन सर्वेक्षण पर काम करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद, ओटावा, कनाडा गए और महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे शीघ्र ही आयनमंडलीय भौतिकी के क्षेत्र में लौट आए, जो आजीवन उनका सबसे पसंदीदा विषय था। उन्होंने भूभौतिकीय विज्ञान विभाग, इलिनोइस विश्वविद्यालय, शिकागो, यूएसए (1965-66) में काम किया। वे 1966 में भारत लौट आये और शीघ्र ही उन्हें प्रो. विक्रम साराभाई द्वारा पी.आर.एल. में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
वे उन वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने 60 के दशक के अंत में पी.आर.एल. में टॉप-साइड आयनोस्फेरिक साउंडिंग स्टेशन की स्थापना की थी। इस सुविधा का उपयोग करते हुए उन्होंने और उनके छात्रों ने जल्द ही तथाकथित टॉप-साइड आयनोस्फेरिक "लेज" की खोज की और उसका लक्षण वर्णन किया।
उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने रॉकेट से निकलने वाले वाष्प बादलों की फोटोग्राफिक ट्रैकिंग और त्रिभुजीकरण द्वारा थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन पर ऊपरी वायुमंडलीय वायु माप के कई सफल अभियान चलाए। इसके बाद, दिन के समय प्रकाशीय माप के लिए एक प्रकाशिक तकनीक का विकास किया गया। उन्होंने बेरियम वाष्प रिलीज द्वारा आयनमंडल में विद्युत क्षेत्र माप की शुरुआत की और उसे जारी रखा।
प्रो. राघवराव और उनके सहयोगियों ने पवन डेटा से दिखाया कि, चुंबकीय विषुवतीय रेखा (थुंबा) पर ऊर्ध्वाधर पवन महत्वपूर्ण है, जिससे उनके मन में यह आशंका पैदा हुई कि ऐसी हवाएँ काउंटर-इलेक्ट्रोजेट घटना का कारण हो सकती हैं, एक ऐसी घटना जिसमें आयनमंडलीय धारा E क्षेत्र की ऊँचाई पर अपनी दिशा उलट देती है। इसके परिणामस्वरूप विषुवतीय इलेक्ट्रोजेट के लिए एक सैद्धांतिक मॉडल का विकास हुआ जिसमें हवा के प्रभाव शामिल थे और यह सिद्ध हुआ कि ऊर्ध्वाधर हवाएँ वास्तव में विषुवतीय काउंटर-इलेक्ट्रोजेट धारा उत्पन्न करने के लिए एक व्यवहार्य और प्रभावी तंत्र हैं।
इसके अलावा उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने उन स्थितियों की व्याख्या करने के लिए सैद्धांतिक मॉडल विकसित किए, जो मूल प्रक्षोभ के प्रभावों और विषुवतीय स्प्रेड- F घटना के विकास और प्लाज्मा बबल के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वर्ष 1989 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, वे डायनेमिक एक्सप्लोरर डेटा पर काम करने के लिए GSFC, NASA (1990-92) गए एवं विषुवतीय तापमान और अनुमानित तत्कालीन पवन विसंगतियों के लिए ठोस प्रमाण प्रदान किए। इस प्रकार की विसंगतियों के विषय में यह पहला परिणाम था।
उन्होंने पीआरएल में प्रकाशिक एरोनॉमी कार्यक्रम को एक नया आयाम और प्रोत्साहन दिया, जिसके कारण डे ग्लो (दिन के समय का चमक) माप तकनीक के नई पद्धति की खोज हुई और अत्याधुनिक उच्च विभेदन इमेजिंग और स्कैनिंग स्पेक्ट्रोमीटर का निर्माण हुआ। उनकी शुरुआती सैद्धांतिक पूर्वानुमानों की कई प्रयोगात्मक पुष्टि दशकों बाद सच साबित हुई हैं।
अपने शोध जीवन के दौरान, उन्होंने हमेशा पहले विचार विकसित किए और फिर उन्हें प्रमाणित या रद्द करने के लिए डेटा अवलोकन किये या प्रयोगों का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कभी भी संयोग में विश्वास नहीं किया, न ही वे इस पर सफल होना चाहते थे। वे दूरदर्शी, विज्ञान के प्रति उत्साह और खोज की अदम्य भावना के निस्वार्थ व्यक्ति थे। उन्होंने जहाँ भी प्रतिभा देखी, उसे स्पष्ट रूप से पहचाना और ऐसी प्रतिभा के विकास के लिए पूरे दिल से प्रोत्साहन दिया। उन्होंने देश में अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम को आकार देने में अपनी सलाहकार क्षमता के माध्यम से एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। वे एरोनॉमी वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक सच्चे प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी भावी पीढ़ियों को बहुत ज़रूरत थी। इस सबसे बढ़कर, वे एक अच्छे इंसान थे।
वे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के निर्वाचित फेलो थे और आईएनएसए के कलापति रामकृष्ण रामनाथन पदक (1996) प्राप्तकर्ता थे।
वे पीआरएल में अध्ययन किए जा रहे विज्ञान के सभी क्षेत्रों में रुचि रखते थे, पीआरएल में सभी क्षेत्रों में आयोजित सभी संगोष्ठियों और वार्ताओं में नियमित रूप से भाग लेते थे तथा अनुसंधान के सभी क्षेत्रों में पीआरएल के सभी संकाय सदस्यों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा करते थे।
वर्ष 2024-25 के लिए, नामांकित व्यक्ति प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक श्रेणी 01.01.2025 को 45 वर्ष से कम के होंगे।
वर्ष 2024-25 का प्रथम स्मृति व्याख्यान 21 फरवरी 2025 को पीआरएल में आयोजित किया जाएगा।

प्रो. रविपति राघवराव के बारे में
प्रो. रविपति राघवराव (जिन्हें स्नेहपूर्वक आरआरआर के नाम से जाना जाता है) पीआरएल के एक प्रतिष्ठित संकाय सदस्य थे और उन्होंने 1966 से 1989 तक पीआरएल में कार्य किया। प्रो. आर. राघवराव एरोनॉमी के क्षेत्र में अग्रणी थे। उनके कार्यों में भू-आधारित रेडियो और प्रकशिक अन्वेषण माप से लेकर उपग्रह-आधारित प्रयोग जैसे टॉपसाइड साउंडर्स या रॉकेट-आधारित प्रयोग जैसे वाष्प रिलीज और स्वस्थाने माप जैसे ऊपरी वायुमंडलीय जांच के सभी सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक पहलुएं शामिल थे।
प्रो. राघवराव का जन्म आंध्र प्रदेश के तटीय शहर ओंगोल में एक बड़े किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रो. बी. रामचंद्र राव के साथ आयनमंडल के क्षेत्र में अपने थीसिस पर्यवेक्षक के रूप में आंध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से बी.एससी., एम.एससी. और डीएससी डीएससी (1960) की उपाधि प्राप्त की। चुनौतियों को लेने के लिए तैयार एक युवा और महत्वाकांक्षी पोस्ट-डॉक्टरेट के रूप में, वे (1963-64) गैलेक्टिक प्लेन के 9.3 सेमी रेडियो उत्सर्जन सर्वेक्षण पर काम करने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान परिषद, ओटावा, कनाडा गए और महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे शीघ्र ही आयनमंडलीय भौतिकी के क्षेत्र में लौट आए, जो आजीवन उनका सबसे पसंदीदा विषय था। उन्होंने भूभौतिकीय विज्ञान विभाग, इलिनोइस विश्वविद्यालय, शिकागो, यूएसए (1965-66) में काम किया। वे 1966 में भारत लौट आये और शीघ्र ही उन्हें प्रो. विक्रम साराभाई द्वारा पी.आर.एल. में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया।
वे उन वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने 60 के दशक के अंत में पी.आर.एल. में टॉप-साइड आयनोस्फेरिक साउंडिंग स्टेशन की स्थापना की थी। इस सुविधा का उपयोग करते हुए उन्होंने और उनके छात्रों ने जल्द ही तथाकथित टॉप-साइड आयनोस्फेरिक "लेज" की खोज की और उसका लक्षण वर्णन किया।
उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने रॉकेट से निकलने वाले वाष्प बादलों की फोटोग्राफिक ट्रैकिंग और त्रिभुजीकरण द्वारा थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन पर ऊपरी वायुमंडलीय वायु माप के कई सफल अभियान चलाए। इसके बाद, दिन के समय प्रकाशीय माप के लिए एक प्रकाशिक तकनीक का विकास किया गया। उन्होंने बेरियम वाष्प रिलीज द्वारा आयनमंडल में विद्युत क्षेत्र माप की शुरुआत की और उसे जारी रखा।
प्रो. राघवराव और उनके सहयोगियों ने पवन डेटा से दिखाया कि, चुंबकीय विषुवतीय रेखा (थुंबा) पर ऊर्ध्वाधर पवन महत्वपूर्ण है, जिससे उनके मन में यह आशंका पैदा हुई कि ऐसी हवाएँ काउंटर-इलेक्ट्रोजेट घटना का कारण हो सकती हैं, एक ऐसी घटना जिसमें आयनमंडलीय धारा E क्षेत्र की ऊँचाई पर अपनी दिशा उलट देती है। इसके परिणामस्वरूप विषुवतीय इलेक्ट्रोजेट के लिए एक सैद्धांतिक मॉडल का विकास हुआ जिसमें हवा के प्रभाव शामिल थे और यह सिद्ध हुआ कि ऊर्ध्वाधर हवाएँ वास्तव में विषुवतीय काउंटर-इलेक्ट्रोजेट धारा उत्पन्न करने के लिए एक व्यवहार्य और प्रभावी तंत्र हैं।
इसके अलावा उन्होंने और उनके सहकर्मियों ने उन स्थितियों की व्याख्या करने के लिए सैद्धांतिक मॉडल विकसित किए, जो मूल प्रक्षोभ के प्रभावों और विषुवतीय स्प्रेड- F घटना के विकास और प्लाज्मा बबल के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
वर्ष 1989 में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, वे डायनेमिक एक्सप्लोरर डेटा पर काम करने के लिए GSFC, NASA (1990-92) गए एवं विषुवतीय तापमान और अनुमानित तत्कालीन पवन विसंगतियों के लिए ठोस प्रमाण प्रदान किए। इस प्रकार की विसंगतियों के विषय में यह पहला परिणाम था।
उन्होंने पीआरएल में प्रकाशिक एरोनॉमी कार्यक्रम को एक नया आयाम और प्रोत्साहन दिया, जिसके कारण डे ग्लो (दिन के समय का चमक) माप तकनीक के नई पद्धति की खोज हुई और अत्याधुनिक उच्च विभेदन इमेजिंग और स्कैनिंग स्पेक्ट्रोमीटर का निर्माण हुआ। उनकी शुरुआती सैद्धांतिक पूर्वानुमानों की कई प्रयोगात्मक पुष्टि दशकों बाद सच साबित हुई हैं।
अपने शोध जीवन के दौरान, उन्होंने हमेशा पहले विचार विकसित किए और फिर उन्हें प्रमाणित या रद्द करने के लिए डेटा अवलोकन किये या प्रयोगों का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कभी भी संयोग में विश्वास नहीं किया, न ही वे इस पर सफल होना चाहते थे। वे दूरदर्शी, विज्ञान के प्रति उत्साह और खोज की अदम्य भावना के निस्वार्थ व्यक्ति थे। उन्होंने जहाँ भी प्रतिभा देखी, उसे स्पष्ट रूप से पहचाना और ऐसी प्रतिभा के विकास के लिए पूरे दिल से प्रोत्साहन दिया। उन्होंने देश में अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम को आकार देने में अपनी सलाहकार क्षमता के माध्यम से एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। वे एरोनॉमी वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक सच्चे प्रकाश स्तंभ थे, जिनकी भावी पीढ़ियों को बहुत ज़रूरत थी। इस सबसे बढ़कर, वे एक अच्छे इंसान थे।
वे भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के निर्वाचित फेलो थे और आईएनएसए के कलापति रामकृष्ण रामनाथन पदक (1996) प्राप्तकर्ता थे।
वे पीआरएल में अध्ययन किए जा रहे विज्ञान के सभी क्षेत्रों में रुचि रखते थे, पीआरएल में सभी क्षेत्रों में आयोजित सभी संगोष्ठियों और वार्ताओं में नियमित रूप से भाग लेते थे तथा अनुसंधान के सभी क्षेत्रों में पीआरएल के सभी संकाय सदस्यों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा करते थे।
नामांकन के लिए दिशानिर्देश :
प्रो. रविपति राघवराव की स्मृति में, उनके परिवार ने एक स्मृति व्याख्यान संस्थापित किया है जो भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद (पीआरएल) द्वारा संचालित किया जाएगा। यह वार्षिक व्याख्यान भारत के किसी प्रख्यात वरिष्ठ वैज्ञानिक और 45 वर्ष से कम आयु के एक प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक द्वारा एकांतर वर्षों में (जो पीआरएल में अध्ययनरत किसी भी विषयक्षेत्र में कार्य कर रहे हों) दिया जाएगा।वर्ष 2024-25 के लिए, नामांकित व्यक्ति प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक श्रेणी 01.01.2025 को 45 वर्ष से कम के होंगे।
पात्रता |
प्रो. आर. राघव राव स्मृति व्याख्यान विशिष्ट विषय क्षेत्रों में वैज्ञानिकों के उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में दिया जाएगा। |
नामांकन एवं अंतिम तिथि: |
|
खोज-सह-चयन समिति | वार्षिक प्रो. आर. राघवराव स्मृति व्याख्यान के लिए प्राप्त नामांकनों पर निदेशक, पीआरएल द्वारा गठित समिति विचार करेगी। |
घोषणा | 2024-25 व्याख्यान के लिए चयनित वैज्ञानिक का नाम जनवरी के अंत या फरवरी 2025 के प्रथम सप्ताह तक घोषित किया जाएगा। |
अन्य सूचना:
स्मृति व्याख्यान के बारे में | यह व्याख्यान 21 फरवरी 2025 को एक समारोह में दिया जाएगा, जहां प्राप्तकर्ता पी.आर.एल. में व्याख्यान देंगे। व्याख्यान का सारांश (चयनित वैज्ञानिक द्वारा प्रदान किया जाएगा), न्यूज़लेटर (हिंदी और अंग्रेजी) और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर शामिल किया जाएगा। प्रत्येक स्मृति व्याख्यान प्राप्तकर्ता को एक फलक और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। अहमदाबाद में इकोनॉमी क्लास से आने-जाने का हवाई किराया और स्थानीय आतिथ्य शामिल होगा। |
नामांकन प्रोफार्मा |
यहाँ क्लिक करें प्रासंगिक जानकारी के साथ प्रोफार्मा भरने और नामांकनकर्ता द्वारा भरे जाने के बाद, प्रासंगिक अनुलग्नकों के साथ एक पीडीएफ फाइल 20 जनवरी 2025 27 जनवरी 2025 तक [email protected] पर भेजें।. |
संपर्क |
[email protected] 079 - 2631 4652/4869 |