विज्ञान एक्सप्रेस

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई के जन्म शताब्दी को चिह्नित करने के लिए वर्ष 2018 में शुरू होने वाले एक अलग तरह के विशिष्ट आउटरीच कार्यक्रम की निरंतरता में, पी.आर.एल. की विज्ञान एक्सप्रेस टीम ने स्कूलों/सामुदायिक विज्ञान केंद्रों के सहयोग से गुजरात और राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर विज्ञान प्रदर्शनी/प्रयोग प्रदर्शनों का आयोजन किया है। विज्ञान एक्सप्रेस कार्यक्रम का उद्देश्य स्कूल और कॉलेज के छात्रों, विशेषतः अल्प सुविधा प्राप्त छात्रों और ग्रामीण इलाकों की छात्राओं और साधारण लोगों तक पहुंच कर विज्ञान के रोचकताओं के बारे में बताना एवं प्रोत्साहन देना है।

विज्ञान एक्सप्रेस कार्यक्रम का दूसरा पड़ाव 21-22 दिसंबर 2019 के दौरान एडूफेस्ट में हमारी उपस्थिति के साथ शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य अहमदाबाद शहर के पूर्वी हिस्से के लोगों को इस कार्यक्रम के द्वारा विज्ञान में उत्साहित करना था। पिछले तीन वर्षों से, लगभग 40 एनजीओ, 100 से अधिक स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों और कुछ उद्योग/कॉर्पोरेट साथी मिलकर, अहमदाबाद के रिवरफ्रंट में एडुफेस्ट कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं, जिसका प्राथमिक उद्देश्य बड़ी संख्या में साधारण लोगों तक पहुंच कर उनमें विज्ञान की भावना को उत्साहित करना, छात्रों को (और माता-पिता को भी) विशेष रूप से विज्ञान प्रवाह की पढ़ाई करने लिए प्रोत्साहित करना है। आयोजकों ने पी.आर.एल. से वैज्ञानिक प्रदर्शनों/प्रयोगों/पोस्टरों आदि के बारे में गहरी रुचि दिखाई है और 4000 वर्ग फीट तक प्रदर्शनी के लिए स्थान प्रदान करने की भी उदारता दिखाई। यहां पी.आर.एल. के 40 से अधिक विज्ञान एक्सप्रेस वालंटियर, मुख्य रूप से पीएच.डी. छात्रों ने, अपने सप्ताहांत को 20 अनोखे प्रयोगों का प्रदर्शन और हजारों छात्रों, बच्चों और साधारण लोगों के साथ बातचीत करते हुए बिताया। इन दो दिनों की गतिविधि से लगभग 3000 छात्र/छात्रा लाभान्वित हुए।

4 जनवरी 2020 को, विज्ञान एक्सप्रेस की टीम, गुजरात में राजकोट के प्रांसला क्षेत्र में राष्ट्र कथा शिविर में गये थे। लगभग 25 वालंटियर ने एक दिन व्यापी गतिविधि के लिए शिविर में कई प्रत्यक्ष प्रयोगों की व्यवस्था करते हुए लगभग 1500 प्रतिभागियों के साथ चर्चा की।

हमारे तीसरे कार्यक्रम में, विज्ञान एक्सप्रेस की टीम ने 10-11 जनवरी 2020 के दौरान विवेकानंद कॉलेज, डबोक और संगम विश्वविद्यालय, भीलवाड़ा का दौरा किया। पी.आर.एल. और यूएसओ से कुल 40+ वालंटियर शामिल थे। छात्रों, पोस्ट-डॉक्टरल फेलो, वैज्ञानिक स्टाफ और कुछ संकाय सदस्यों ने उन दो स्थानों पर 20+ प्रत्यक्ष प्रयोगों का प्रदर्शन किया। इन दोनों कार्यक्रमों में क्रमशः 1500 और 1600 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। हमने उन दो स्थानों में एक लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान का भी आयोजन किया था। यह उल्लेखनीय है कि छात्रों के व्यापक अनुरोध के कारण, दोनों जगहों पर हमें तीन-तीन बार लोकप्रिय व्याख्यान देना पड़ा।

अंततः दिसंबर 2018 - फरवरी 2019 के दौरान सर्दियों में विज्ञान एक्सप्रेस का पड़ाव, भावनगर और ऊना में आयोजित कार्यक्रमों के माध्यम से संपूर्ण हुआ। चूँकि इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य अल्पसुविधाप्राप्त छात्रों तक पहुंचना है, विज्ञान एक्सप्रेस की टीम 22 फरवरी को आसपास के स्कूलों से लगभग 1000 छात्रों सहित विद्याधीश विद्यासंकुल, भावनगर के छात्रों को विज्ञान प्रदर्शनी दिखाने के लिए पहुंची। इस टीम ने दो सरकारी स्कूलों और गांधी कन्या हाई स्कूल, ऊना के सहयोग से एक और कार्यक्रम का आयोजन किया। यह विज्ञान के चमत्कारों को दर्शाने वाली एक पूरे दिन की गतिविधि थी जिसमें ऊना के 1500 से अधिक छात्र आए थे। स्थानीय आयोजकों ने हमें वहां के दूर-दराज क्षेत्रों से छात्रों को लाने में मदद की। विज्ञान एक्सप्रेस की टीम ने दूर-दराज क्षेत्रों के छात्रों को शिक्षा तक पहुंचने के लिए उठाई जाने वाली वास्तविक कठिनाइयों को करीब से देखा। इसलिए, उन्होंने छात्रों को विज्ञान एक्सप्रेस से लाभान्वित करने के लिए अपना अतिरिक्त प्रयास और समय दिया। कुल मिलाकर यह वास्तव में विज्ञान एक्सप्रेस टीम और ऊना के छात्रों के लिए एक अलग अनुभव था। गर्मियों की शुरुआत के कारण, विज्ञान एक्सप्रेस की यात्रा रोक दी गई थी जिसका दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक सर्दियों में शुरु होना अपेक्षित था। जहां दिसंबर 2018 - फरवरी 2019 के दौरान इन सभी विज्ञान एक्सप्रेस कार्यक्रमों (गुजरात और राजस्थान में कुल 6 स्थान) ने समाज के अल्पसुविधाप्राप्त श्रेणी के बीच विभिन्न विज्ञान प्रयोगों के प्रायोगिक मॉडल के माध्यम से विज्ञान की रोचकताओं को साझा करने एवं जागरूकता बढ़ाने के लिए हमारी मदद की, वहीं हमारी टीम के सदस्यों को प्रदर्शन के प्रभावी तरीकों या युवा दिमाग को आकर्षित करने के लिए उपयुक्त व्याख्या पर नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली। इतने सारे कुतूहली छात्रों को हमारे प्रयास में मदद देते हुए देख एवं कई सारे जिज्ञासाओं के साथ आते देख बहुत ही अच्छा लगता है।

अपने पहले वर्ष में, दिसंबर 2018 से फरवरी 2019 तक विज्ञान एक्सप्रेस के कार्यक्रमों को 7000 से अधिक अनुमानित अभ्यागतों के साथ छात्रों, शिक्षकों और साधारण लोगों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है। हमारे प्रयासों को संक्षेप में ऐसे कहा जा सकता है कि, 30 वॉलंटियरों ने 45 घंटों में 2000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए इस तरह के प्रदर्शन और व्याख्यान के लिए 1230 स्वैच्छिक कार्यावधि दिए।

भावनगर और ऊना के लिए विज्ञान-एक्सप्रेस टीम

विज्ञान एक्सप्रेस टीम - अभय कुमार, आकांक्षा खंडेलवाल, अलका रानी, अंजू रानी, आशीर्बाद नायक, अरिजीत रॉय, अरविंद के., आयुषी, बंकिमचंद्र एन. पंड्या, दीपक कुमार पैंकरा, हर्षित, जय कृष्ण, मधुसूदन पी., मलाइदेवन पी., नमिता उप्पल, नंदिता, नवप्रकाश, नवल किशोर, नीरज कुमारी, प्रियांक पराशरी, संदीप सिंह, सुप्रिया पान, सुशील चौरसिया, वरुण शर्मा, विमलेश कुमार, अभीक सरकार, पार्थ कोणार; व्यवस्थापना - गौतम सामंता
गुजरात और राजस्थान में विभिन्न पड़ावों के साथ विज्ञान-एक्सप्रेस अपनी यात्रा जारी रखे हुए है ताकि साधारण जनता और छात्रों के साथ विज्ञान के रोचक तथ्यों को साझा किया जा सके। विज्ञान-एक्सप्रेस का तीसरा पड़ाव 22 जनवरी को राजस्थान में चित्तोरगढ़ की ओर एक सुदूर ग्रामीण इलाका, कपासन में रवींद्र नाथ टैगोर स्कूल एंड कॉलेज है जो उदयपुर से डेढ़ घंटे की दूरी पर है। यह प्रो. एस. मोहंती और डॉ. के. आचार्य द्वारा बेहद रोचक लोकप्रिय व्याख्यानों के साथ एक पूरे दिन की प्रदर्शनी थी। इन दोनों व्याख्यानों को छात्रों ने खूब सराहा। इस आयोजन में 1000 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। हमने पी.आर.एल. के विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों को प्रदर्शित करते हुए 25 एक्ज़िबिट दिखाए।

23 जनवरी को, विज्ञान-एक्सप्रेस उदयपुर के एक दूरदराज के कोने, बड़गाँव के सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पहुँची। कार्यक्रम के बारे में सुनकर, छात्र सुबह से ही आने लगे थे। मुख्य रूप से, इस समारोह में आसपास के दो स्कूल - एक बालक, एक बालिका हाई स्कूल के छात्रों/छात्राओं ने भाग लिया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्राओं को वैज्ञानिक अंतर्दृष्‍टि प्रदान करना था। इसके बाद, आस-पास के अन्य स्कूलों के छात्रों ने भी भाग लिया। छात्र भी से उनके चौखट पर उपस्थित वैज्ञानिक प्रदर्शन का लाभ उठाने के लिए अत्यधिक उत्साहित थे। इसी प्रकार, समाज के अल्पसुविधाप्राप्‍त छात्र वर्ग को देखकर, हमारी टीम के सदस्यों ने बहुत सरल शब्दों में हमारे प्रदर्शन को समझाने का भरसक प्रयास किया। इस तरह के छोटे मन में जिज्ञासा को प्रज्वलित करने के लिए कई विचार अनायास ही उभर आए थे। इस कार्यक्रम में लगभग 600 छात्रों ने भाग लिया।

उदयपुर और कपासन के लिए विज्ञान-एक्सप्रेस टीम

अली अनवर, अनिर्बान घोष, अंशिका बंसल, अनुपम घोष, अयन विश्वास, अरिजीत रॉय, बंकिमचंद्र एन. पंड्या, भास्कर, दीपक कुमार पैंकरा, दीपक गौर, देवप्रसाद एम., हरीश, हर्षित, कपिल भारद्वाज, केविकुमार लाड, मलइदेवन पी., मोनिका देवी, नवप्रकाश, प्रणव भारद्वाज, प्रशान्त कसारला, ऋतुपर्णा दास, संदीप सिंह, शारिका मिश्रा, सत्यजीत पाटिल, शिवा, सुबित कुमार, सुप्रिया पान, सुशील कुमार, तन्मय कुमार पोद्दार, विमलेश कुमार, यश श्रीवास्तव, योगेश, किंशुक आचार्य, पार्थ कोणार, शुभेंद्र मोहंती

यूएसओ टीम

अनीशा कुलहरी, हृदेश कुमार, कुशाग्र उपाध्याय, सैयद इब्राहिम 22 जनवरी तथा ब्रजेश कुमार, गिरजेश गुप्ता, कमलेश वोरा, रोहन लुइस, सूरज साहू 23 जनवरी 2019 को 2019
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए. साराभाई की जन्म शताब्दी को चिह्नित करने के लिए, पीआरएल में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2019 की टीम ने स्कूलों/सामुदायिक विज्ञान केंद्रों के सहयोग द्वारा गुजरात के विभिन्न स्थानों पर विज्ञान प्रदर्शनी/प्रदर्शन आयोजन करने की योजना बनाई है। इसका उद्देश्य साधारण जनता और छात्रों के साथ संपर्क बनाना और विज्ञान के रोचक तथ्यों को साझा करना है। इस प्रयास का पहला अध्याय ध्रोल, जामनगर और राजकोट में दो दिवसीय यात्रा के साथ शुरू हुआ। पीआरएल से 27 सदस्य, मुख्य रूप से पीएच.डी. छात्रों, ने अपने क्रिसमस सप्ताहांत को बहुत ही विशेष तरीके से मनाया और लगभग 20 प्रयोगों का प्रदर्शन किया और हजारों छात्रों, बच्चों और आम लोगों के साथ वैज्ञानिक चर्चा की। ये प्रयोग विज्ञान के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि एंटी-ग्रेविटी, रोलर कोस्टर, लाइट गाइडिंग, ऑप्टिकल क्लोकिंग, लाइट पोलराइजेशन, सुपर कंडक्टर, लिक्विड नाइट्रोजन, लाइट बॉक्स, रेडियो मीटर, सैद्धांतिक भौतिकी के विभिन्न पहलुएं, थर्मोहेलिन सर्कुलेशन मॉडल, लेंटेज़ सिद्धांत और बर्नौली के सिद्धांत को दर्शाने वाले प्रयोग, टेलिस्कॉप में इमेजिंग, पल्सर मॉडल, शॉक ट्यूब, सोलर एक्स-रे मॉनीटर का पेलोड विवरण, चंद्रयान- II पर अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर एस्ट्रो किट और खगोलीय गतिविधियों द्वारा हाथों-हाथ प्रयोग, स्काई स्पेक्ट्रा पोस्टर, सूर्य फोटोमीटर और गेल क्रेटर मॉडल, मंगल के पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए पीआरएल के विभिन्न प्रभागों द्वारा सेटअप किए गए प्रयोग शामिल हैं।

ध्रोल सामुदायिक विज्ञान केंद्र एम.डी. मेहता शिक्षा परिसर के अंदर है, जिसमें बाल विज्ञान संग्रहालय और एक तारामंडल के साथ प्राथमिक विद्यालय से लेकर बी.एड. कॉलेज तक बालिका शिक्षा केंद्रों का समूह है। 22 दिसंबर 2018, शनिवार, ध्रोल में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे के दौरान हमारी प्रदर्शनी लगाई गई थी। ध्रोल के आयोजकों ने भारी जमावड़ा का अंदाज़ा लगाते हुए 8 वीं कक्षा तथा इसके आगे की ऊंची कक्षाओं के छात्रों तक ही प्रवेश सीमित कर दिया था। फिर भी तीन घंटे की हमारे प्रदर्शनों को 600+ दर्शकों द्वारा सराहा गया। केंद्र संयोजक संजयजी और उनके साथी इस आयोजन में बेहद मददगार थे। हमने आने वाले छात्रों को एक ऑडिटोरियम में एकत्र किया, और वृत्तचित्र दिखाकर पीआरएल का एक संक्षिप्त परिचय और विभिन्न विज्ञान गतिविधियों के बारे में बताया। फिर सभी छात्रों को बारी-बारी से प्रदर्शन क्षेत्र में विभिन्न प्रयोगों के लिए भेजा गया। हमें विभिन्न आयु वर्ग के छात्रों से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। फिर शाम 6 बजे हम राजकोट के लिए निकल पड़े।
अगली सुबह हमने क्षेत्रीय सामुदायिक विज्ञान केंद्र, राजकोट में अपना प्रदर्शन फिर से शुरू किया, जहाँ पर मिनेशजी ने हमारी यात्रा में विभिन्न लॉजिस्टिक्स का समन्वय करते हुए ध्यान रखा। राजकोट के बीचों-बीच स्थित रेसकोर्स क्षेत्र में स्थित यह क्षेत्रीय केंद्र लंबे समय से विज्ञान की लोकप्रियता के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ढोल के विपरीत, यहां दर्शक भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के थे, जिसमें स्कूल, कॉलेज के छात्र, अभिभावक और शिक्षकों के कई समूह शामिल थे और वे बहुत ही व्यवस्थित रूप से चल रहे थे। इस पूर्ण दिवसीय गतिविधि में लगभग 1000+ उत्साहित आगंतुक थे। कई अवसरों पर मंत्रमुग्ध छात्रों ने ऐसे कार्यक्रम के लिए धन्यवाद दिया। हमने पीआरएल के बारे में सामान्य और विज्ञान गतिविधियों और अवसरों के बारे में उनके कई प्रश्नों को संबोधित किया था। कुछ कॉलेज शिक्षकों ने निकट भविष्य में अपने परिसर में इसी तरह के शो/हैंड्स-ऑन प्रयोगों के लिए भी अनुरोध किया।
विज्ञान एक्सप्रेस गुजरात के कोने-कोने में छात्रों को विज्ञान से प्रत्यक्ष करवाने का एक नया प्रयास है। यह भावी पीढ़ी के बीच वैज्ञानिक जिज्ञासा को उजागर करने एवं उनके उत्तरों को संबोधित करते हुए मन में स्थायी छाप छोड़कर समुदाय के प्रति हमारे सामाजिक दायित्वों को पूरा करना है। इसके अलावा, इस तरह के अनुभव ने हमारे सभी युवा सदस्यों के लिए मंच प्रदान किया, जिन्होंने बड़ी ऊर्जा और उत्साह के साथ सभी चुनौतियों का सामना किया।

ध्रोल और राजकोट के लिए विज्ञान-एक्सप्रेस टीम

अरिजीत रॉय, अयन विश्वास, बंकिमचंद्र एन. पंड्या, भास्कर, बीनल पटेल, गिरजेश आर. गुप्ता, कमलेश बोरा, मलइदेवन पी., नवप्रकाश, निशा भारती, निशांत सिंह, प्रदीप सूर्यवंशी, राहुल कुमार कुशवाहा, ऋतुपर्णा दास, संदीप सिंह, सिद्धार्थ सरकार, शोभन साहा, सुबित कुमार, सुदीप्त साव, सुप्रिया पान, सुशील, वरुण शर्मा, विमलेश कुमार, विष्णु कुमार धाकड़, यश श्रीवास्तव, योगेश और पार्थ कोणार। लॉजिस्टिक्स - गौतम सामंत, भूषित वैष्णव