वर्तमान निदेशक

डॉ. अनिल भारद्वाज

डॉ. अनिल भारद्वाज
विशिष्ट प्रोफेसर
एफ.एन.ए., एफ.ए.एससी., एफ.एन.ए.एससी., जे.सी. बोस फेलो, ए.ओ.जी.एस. फेलो
निदेशक, पीआरएल

प्रो. अनिल भारद्वाज ने लखनऊ विश्वविद्यालय (1987) से एम.एससी. और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से वर्ष 1992 में पीएच.डी. प्राप्त की। वे वर्ष 1993 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में त्रिवेन्द्रम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के स्पेस फिजिक्स लैबोरेटरी (एसपीएल) में वैज्ञानिक के रूप में शामिल हुए। वे अगस्त 2007 में एसपीएल के नवगठित ग्रहीय विज्ञान शाखा के प्रधान बने, और तत्पश्चात फरवरी 2014 से फरवरी 2017 के दौरान एसपीएल के निदेशक रहे।

वर्ष 2017 से, वे भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) के निदेशक हैं। उन्होंने वर्ष 2004-2005 के दौरान 2 वर्ष के लिए नासा मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर, संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय विज्ञान अकादेमी (एनआरसी) वरिष्ठ अनुसंधान एसोसिएट के रूप में कार्य किया है।

डॉ. भारद्वाज ने एसपीएल में ग्रहीय विज्ञान में शोध प्रारंभ किया और इसरो में ग्रहीय विज्ञान कार्यक्रम के विकास और भारत के ग्रहीय मिशनों की योजना बनाने में योगदान दिया है। कई नए निष्कर्षों के माध्यम से चंद्रमा के साथ सौर पवन के अन्योन्यक्रिया पर हमारी समझ में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला प्रथम भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान-1 पर SARA प्रयोग के वे प्रमुख अन्वेषक (पीआई) थे। वे भारतीय मंगल कक्षित्र अभियान (एमओएम) पर MENCA प्रयोग के प्रमुख अन्वेषक (पीआई) हैं। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, एवं चंद्रयान-3 लैंडर और रोवर मिशनों तथा आदित्य-L1 मिशन पर उनकी टीम के PI-संचालित प्रयोग हैं।

उनका मूल शोध क्षेत्र ग्रहीय और अंतरिक्ष विज्ञान एवं सौर मंडल अन्वेषण है। उन्होंने सौर मंडल एक्स-रे खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिए हैं, जिनमें शनि के रिंग से एक्स-रे और बृहस्पति और शनि से एक्स-रे प्रज्वाल की खोज और औरोरा और वायुचमक उत्सर्जन के सैद्धांतिक मॉडलिंग और ग्रहीय ऊपरी वायुमंडल और आयनमंडल और धूमकेतु में प्रकाशरसायन शामिल है। उनके शोध निष्कर्ष के परिणामस्वरूप नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी द्वारा कई प्रेस विज्ञप्तियां प्रकाशित की गई हैं, एवं इसरो सप्ताह की खबर, अमेरिकी और यूरोपीय जर्नलों के कवर पृष्ठों और अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन जर्नल हाइलाइट्स के रूप में भी उनके शोध निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं।

वे चंद्र और एक्सएमएम-न्यूटन एक्स-रे वेधशालाओं, हबल स्पेस टेलीस्कोप और जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) पर प्रेक्षक रहे हैं।

उनका मूल शोध क्षेत्र ग्रहीय और अंतरिक्ष विज्ञान एवं सौर मंडल अन्वेषण है। उन्होंने सौर मंडल एक्स-रे खगोल विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिए हैं, जिनमें शनि ग्रह के रिंग से एक्स-रे और बृहस्पति और शनि ग्रह से एक्स-रे प्रज्वालों की खोज और ध्रुवीय ज्योति और वायुचमक उत्सर्जन के सैद्धांतिक मॉडलिंग और ग्रहीय ऊपरी वायुमंडल और आयनमंडल और धूमकेतु में प्रकाशरसायन शामिल है। उनके शोध निष्कर्ष के परिणामस्वरूप नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी, इसरो, एवं अमेरिकी और यूरोपीय जर्नलों के कवर पृष्ठों और अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन जर्नल हाइलाइट्स द्वारा कई प्रेस विज्ञप्तियां प्रकाशित की गई हैं।

प्रो. भारद्वाज ने अंतरराष्ट्रीय जर्नलों और पुस्तकों के अध्याय में 200 से अधिक सहकर्मी-समीक्षित शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, और कई पीएचडी, एम.टेक., एम.फिल., एम.एससी., बी.टेक. विद्यार्थियों और पीडीएफ़ का पर्यवेक्षण किया है। वे कई अंतरराष्ट्रीय जर्नलों के संपादक/संपादकीय बोर्ड के सदस्य, भारत में कई विशिष्ट शोध संस्थानों के शासी परिषद के सदस्य और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समितियों के अध्यक्ष और सदस्य रहे हैं। वे 2006-2010 के दौरान एशिया ओशिनिया जियोसाइंसेज सोसाइटी (एओजीएस) प्लैनेटरी साइंसेज के अध्यक्ष, 2012-2020 के दौरान COSPAR आयोग B के उपाध्यक्ष थे। वे वर्ष 2023 से इंडियन प्लैनेटरी साइंस एसोसिएशन (इपसा) के संस्थापक-अध्यक्ष और इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी हैं।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और कई राष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनारों/कार्यशालाओं में 60 से अधिक वैज्ञानिक सत्र आयोजित किए हैं। हाल के वर्षों में, उन्होंने सम्मेलनों में 50 से अधिक विशिष्ट/पूर्ण वार्ताएँ दीं, और प्रतिष्ठित संस्थानों में आमंत्रित/विशेष व्याख्यान दिए।

प्रो. भारद्वाज भारत में सभी तीन राष्ट्रीय विज्ञान अकादेमियों और कई अन्य अकादेमियों/सोसायटियों के निर्वाचित फेलो हैं, और उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मान्यता प्राप्त हुई हैं - जिनमें दो अत्यंत प्रतिष्ठित विज्ञान पुरस्कार - शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार (2007) और इंफोसिस पुरस्कार (2016) शामिल हैं। वे इनसा-वैनू बप्पू मेमोरियल इंटरनेशनल अवार्ड (2016), इंडियन जियोफिजिकल यूनियन के डेसेनियल अवार्ड (2017), जे.सी. बोस नेशनल फ़ेलोशिप (2019), एनएएसआई के प्रो. एम.जी.के. मेनन लेक्चर अवार्ड (2021), एओजीएस फ़ेलोशिप और इनसा विशिष्ट व्याख्यान फ़ेलोशिप (2023) के भी प्राप्तकर्ता हैं।

आइआइटी-बीएचयू (2015) और लखनऊ विश्वविद्यालय (2022) के विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार प्रापक प्रो. भारद्वाज को इसरो ने वर्ष 2017 में उच्चतम सेवाकालीन पुरस्कार - उत्कृष्ट उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया।

वे सक्रिय रूप से सार्वजनिक आउटरीच गतिविधियों में संलग्न हैं और उन्होंने 100 से अधिक व्याख्यान दिए हैं एवं 80,000 से अधिक स्कूल, कॉलेजों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ बातचीत की है। प्रो. भारद्वाज ने ग्रामीण क्षेत्रों में अल्पसुविधाप्राप्त और छात्राओं के लिए नए कार्यक्रम भी शुरू किए हैं, जिससे 25,000 से अधिक विद्यार्थी प्रभावित हुए हैं।

प्रो. अनिल भारद्वाज के जीवन और कार्य पर एक अध्याय "ए रॉकेट टू पोक मार्शियन्स" बच्चों की पुस्तक "दे मेड व्हाट?" (2021) में प्रकाशित हुआ है।

संपर्क

निदेशक
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फैक्स : + 91-79-26300374
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हिरल डी. मोदी
निदेशक के निजी सचिव
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