गुरुशिखर, माउंट आबू में पीआरएल माउंट आबू वेधशाला के बारे में

पीआरएल द्वारा 1970 के दशक के दौरान एक प्रकाशिक वेधशाला की स्थापना और अवरक्त और प्रकाशिक खगोल विज्ञान कार्यक्रम शुरू करने का विचार प्रस्तुत किया गया था। कई स्थानों के उपयुक्त खगोलीय स्थल सर्वेक्षण के बाद, माउंट आबू, राजस्थान (भारत) में अरावली पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी, गुरुशिखर, को इसके कम जल वाष्प के कारण और 220 से अधिक रातों में काफी अच्छा अवलोकन और पीआरएल, अहमदाबाद के निकट (240 किलोमीटर) होने पर यह स्थल सबसे उपयुक्त पाया गया। इस स्थल पर आने वाला पहला दूरबीन 1.2 मीटर दूरबीन है।

1.2 मीटर दूरबीन वेधशाला भवन का निर्माण कार्य वर्ष 1986 के आसपास शुरू हुआ था। प्रवेश मार्ग, दूरबीन भवन और अन्य सुविधाएं, दूरबीन माउंट और गुंबद आदि के निर्माण सहित इस स्थल को विकसित करने की जिम्मेदारी इसरो को दी गई थी। संपूर्ण वेधशाला को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया था। दूरबीन ड्राइव, माउंट और दूरबीन नियंत्रण सहित अन्य सहायक प्रणालियों का डिज़ाइन, SHAR केंद्र द्वारा किया गया था और इस केंद्र ने चेन्नई में इसके निर्माण कार्य की भी निगरानी की थी। यह दूरबीन 1.2 मीटर प्राइमरी मिरर ब्लैंक अमेरिका के एरिज़ोना विश्वविद्यालय से आया था (यह स्वर्गीय प्रोफेसर टॉम गेहरल्स द्वारा दान किया गया था), और मिरर ब्लैंक को यूनाइटेड किंगडम में पॉलिश किया गया था। खगोलीय अवलोकन के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक, सभी बैक-एंड उपकरणों को वेधशाला की स्थापना के साथ-साथ विकसित किया गया था। यह उल्लेखनीय है कि उनमें से कुछ प्रारंभिक उपकरण अभी भी सक्रिय हैं और नवीन उपकरणों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। स्टार अल्फा एरिटिस की "फर्स्ट लाइट" छवि 19 नवंबर, 1994 को 1.2 मीटर दूरबीन द्वारा प्राप्त की गई थी, जिससे दूरबीन के ऑप्टिक्स की उत्कृष्ट गुणवत्ता प्रमाणित हुई। वेधशाला ने 7 दिसंबर 1994 को आईआरसी-10557 (वी एक्वेरी) के चंद्र ग्रहण अध्ययन के साथ तुरंत नियमित संचालन शुरू कर दिया। वर्षों से, इस दूरबीन ने खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी संकाय के वैज्ञानिक कार्यक्रमों की अवलोकन आवश्यकताओं को पूरा किया है।

वर्तमान में इसके अनुसंधान कार्यक्रम में सौर मंडल के पिंडों का अध्ययन, बाह्यग्रह की खोज और विशेषताएं, तारकीय खगोल भौतिकी के विषय में तारा गठन, तारकीय संरचना और विकास, नोवे और द्वितारा प्रणाली, सुपरनोवे और ताराविस्फोट एवं सक्रिय आकाशगांगेय नाभिक जैसे खगोलीय पिंड और घटनाएं शामिल हैं। इन अध्ययनों में उपयोग की जाने वाली तकनीकों में से इमेजिंग प्रकाशमीति, स्पेक्ट्रोस्कोपी और ध्रुवणमीति प्रमुख हैं।

इसके बाद नोवे, जीआरबी, धूमकेतु  अध्ययन आदि जैसे क्षणिक खगोलभौतिकीय घटनाओं के निरंतर प्रकाशमीतिय अवलोकन की मांग के कारण, सीसीडी का उपयोग करके ऐसे स्रोतों के प्रेक्षण के लिए एक छोटा स्वचालित 50 सेमी दूरबीन बनाने का निर्णय लिया गया। अतः 2011 के आसपास एटीवीएस 50 सेमी की परिकल्पना की गई थी। एक्सोप्लैनेट (बाह्यग्रह) के अनुवर्ती पारगमन अवलोकन करने के लिए, एक बड़े दृश्य क्षेत्र के साथ 43 सेमी दूरबीन रखने का निर्णय लिया गया था। 43 सेमी दूरबीन जनवरी 2019 से सक्रिय है।

2014 की शुरुआत में, पीआरएल खगोल भौतिकीविदों ने विशेष रूप से पीआरएल के समर्पित बाह्यग्रहीय विज्ञान और टारगेट ऑफ ऑपरच्युनिटीज़ (टीओओ) कार्यक्रमों के अनुरूप एक बड़े एपर्चर दूरबीन की आवश्यकता अनुभव की। गुरुशिखर में 2.5 मीटर दूरबीन परियोजना शुरू करने का निर्णय लिया गया और बाद में फरवरी 2015 में, लीज, बेल्जियम में एडवांस्ड मैकेनिकल एंड ऑप्टिकल सिस्टम्स (एएमओएस) के साथ एक अनुबंध किया गया। इसकी प्रारंभिक बैठक जुलाई 2016 के मध्य में हुई, जिसके बाद सितंबर 2020 में फ़ैक्टरी एक्सेप्टेंस टेस्ट (FAT) और अक्टूबर 2022 तक साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (SAT) हुआ।

पीआरएल 2.5 मीटर दूरबीन भारत में एक अत्यंत उन्नत दूरबीन है, जिसमें प्राइमरी मिरर एक्टिव ऑप्टिक्स, साइड-पोर्ट पर टिप-टिल्ट और वेवफ्रंट करेक्शन सेंसर के साथ रिची-क्रेटिन ऑप्टिकल विन्यास की सुविधा है। दूरबीन के साथ, इसके पहले प्रकाश उपकरण, फ़ेंट ऑब्जेक्ट कैमरा (FOC) और PARAS-2 को भी जून 2022 में एकीकृत किया गया और इससे जोड़ा गया था। एसडीएसएस फ़िल्टर सेट के साथ एक 10x10 वर्ग आर्कमिनट एफओवी सीसीडी इमेजर, एफओसी, मुख्य रूप से विस्तृत वैज्ञानिक प्रेक्षणों और क्षणिक खगोलभौतिकीय घटनाओं के अध्ययन के लिए डिज़ाइन किया गया था। PARAS का एक उन्नत संस्करण PARAS-2 है जिसे एक्सोप्लैनेट (बाह्यग्रह) का पता लगाने और अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह तापमान और दबाव के स्थिर वातावरण में क्रमशः 24 ± 0.001◦C और 0.005 ± 0.0005 mbar पर 107,000 के विभेदन पर काम करता है।.

पीआरएल 2.5 मीटर दूरबीन के लिए अतिरिक्त बैकएंड उपकरण भी विकसित कर रहा है, जैसे कि नियर इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ एंड ध्रुवणमापी (एनआईएसपी), लो-रिज़ॉल्यूशन स्पेक्ट्रोग्राफ (एलआरएस), और एक एशेले स्पेक्ट्रो-ध्रुवणमापी (एमएफओएससी-ईपी और इसका प्रोटो-टाइप) जो विभिन्न खगोलभौतिकी अध्ययनों के लिए आगामी 1-2 वर्षों में बन कर तैयार होगी।

सभी दूरबीन भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के हैं और संपूर्णतः अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं।

पता

माउंट आबू वेधशाला, गुरुशिखर के पास, माउंट आबू-307501, (राजस्थान) भारत
निर्देशांक : 24°39′17.34″N 72°46′45.18″E
ऊंचाई : 1,680 m (5,510 ft)

माउंट आबू वेधशाला बेस कार्यालय, ऑब्जर्वर ट्रांजिट हाउस, आवासीय परिसर:
हिलव्यू, गोरा छपरा, माउंट आबू 307501, (राजस्थान), भारत
फ़ोन: +91-02974-235229 फैक्स नंबर: +91-02974-238276


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